📰 भेल न्यूज 24 के लिए Er. Raghvendra Singh Rajpoot की विशेष रिपोर्ट
थ्रिफ्ट सोसायटी विवाद: भ्रष्टाचार पर रोक से शुरू हुआ झगड़ा, बैंक खाता फ्रीज़ तक पहुँचा मामला
भोपाल। भेल थ्रिफ्ट एंड क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी में पिछले दिनों जिस तरह का घटनाक्रम सामने आया है, उसने न केवल सोसायटी के संचालन को संकट में डाल दिया है, बल्कि हजारों सदस्यों की जमा-पूंजी और वित्तीय लेन-देन पर भी सीधा असर डाला है। घटनाओं की श्रृंखला को क्रमवार देखने पर स्पष्ट होता है कि यह विवाद धीरे-धीरे बढ़ते हुए बैंक खाते फ्रीज़ तक जा पहुँचा।
कैसे शुरू हुआ विवाद
थ्रिफ्ट सोसायटी के कुछ संचालकों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे। जब सोसायटी के अध्यक्ष बसंत कुमार ने इन संचालकों को भ्रष्टाचार से रोका, तो मतभेद खुलकर सामने आ गए।
इस बीच, भेल कैंटीन को मटेरियल सप्लाई के लिए हुए टेंडर में थ्रिफ्ट सोसायटी L-1 बोलीदाता रही। भेल प्रबंधन द्वारा निगोशिएशन करने पर अध्यक्ष बसंत कुमार ने दरों में और कमी की, जिससे थ्रिफ्ट को सीधा लाभ होता। लेकिन इसी मुद्दे को आधार बनाकर कुछ संचालकों ने अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और उनके ऑफिस पर ताला जड़ दिया।
सहयोग की अपील और समझौते की कोशिश
अध्यक्ष बसंत कुमार ने इस मामले में विपक्षी संचालकों दीपक गुप्ता, निशांत नंदा, राजकुमार, कमलेश नागपुरे से ताला खुलवाने और संचालन में सहयोग देने की अपील की। उन्होंने साफ कहा कि भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की वजह से यह हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
इसके बाद थ्रिफ्ट को राजनीतिक संकट से बचाने के लिए दीपक गुप्ता व सत्यमेव जयते ग्रुप के संचालकों ने बैठक की और निर्णय लिया कि सोसायटी को चुनाव में धकेलने के बजाय 2027 तक निर्विघ्न संचालन करना ही बेहतर होगा।
तब दीपक गुप्ता, निशांत नंदा, राजकुमार इडपाचे, कमलेश नागपुरे व श्रीमती किरण धामने ने अध्यक्ष बसंत कुमार को ब्याज दर घटाने और डिविडेंड बढ़ाने जैसे मुद्दों पर समर्थन देने की घोषणा की।
उपाध्यक्ष की बगावत और अविश्वास प्रस्ताव
इसके बाद उपाध्यक्ष राजेश शुक्ला ने अध्यक्ष बसंत कुमार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव बुलाया। इस बैठक में केवल राजेश शुक्ला और चार अन्य डायरेक्टर ही पहुंचे।
अगले दिन अध्यक्ष बसंत कुमार ने बोर्ड बैठक बुलाई। उसी समय उन्हें थाने में एक पुराने मामले में बयान दर्ज कराने के लिए बुला लिया गया, जिससे वे देर से सोसायटी पहुंचे। बयान दर्ज कराकर जब बसंत कुमार छह डायरेक्टरों के साथ सोसायटी पहुंचे, तो उन्होंने निशांत नंदा को वरिष्ठ उपाध्यक्ष नियुक्त किया।
आम सभा और बैंक खाता विवाद
21 सितंबर को आयोजित आम सभा में कई सवाल-जवाब हुए। बसंत कुमार की अध्यक्षता में आम सभा संपन्न हुई। विपक्षी डायरेक्टरों द्वारा माइक छीनने जैसे कृत्य भी हुए, लेकिन आम सभा का संचालन नहीं रुका।
राजेश शुक्ला, राजमल बैरागी, आशीष सोनी, रजनीकांत चौबे और श्रीमती निशा वर्मा ने बैंक में लेन-देन पर आपत्ति जताई।
अध्यक्ष बसंत कुमार ने बैंक मैनेजर को छह डायरेक्टरों के समर्थन पत्र और थ्रिफ्ट बायलॉज का हवाला देकर खाता फ्रीज़ करने को अनुचित बताया। इसके बाद बैंक ने खाते से रोक हटाकर कामकाज बहाल कर दिया।
लेकिन अगले ही दिन कुछ रसूखदार लोग बैंक जाकर मैनेजर पर दबाव बनाने लगे। परिणामस्वरूप बैंक ने दोबारा थ्रिफ्ट का खाता फ्रीज़ कर दिया और कानूनी राय लेने की बात कही।
मौजूदा स्थिति
वर्तमान में स्थिति यह है कि यदि राजेश शुक्ला, जो चुनाव में अपने पूरे पैनल से 11 में से केवल 1 सीट जीत पाए थे, उपाध्यक्ष बने रहने और साइनिंग अथॉरिटी की जिद छोड़कर अपनी शिकायत वापस ले लें, तो थ्रिफ्ट का खाता कल से ही दोबारा चालू हो सकता है।
लेकिन कुछ संचालक अब भी थ्रिफ्ट को बर्बादी तक ले जाने का खेल खेल रहे हैं। इसका सीधा नुकसान उन सदस्यों को उठाना पड़ रहा है जिनका लोन, FD भुगतान और वित्तीय लेन-देन रुक गया है।
👉 कुल मिलाकर, भ्रष्टाचार पर रोक से शुरू हुआ विवाद आज थ्रिफ्ट सोसायटी की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर चुका है। सवाल यह है कि क्या संचालक आपसी राजनीति छोड़कर सदस्यों के हितों को प्राथमिकता देंगे, या फिर थ्रिफ्ट भी भेल की अन्य सोसायटियों की तरह गंदी राजनीति का शिकार हो जाएगी?
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