थ्रिफ्ट सोसायटी विवाद: अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे उपाध्यक्ष, सभी वित्तीय अधिकार अपने पास लेने का किया ऐलान
भोपाल। बीएचईएल थ्रिफ्ट एंड क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी का विवाद सोमवार को उस समय चरम पर पहुँच गया जब संस्था के उपाध्यक्ष राजेश शुक्ला अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ गए और सभी वित्तीय अधिकार अपने पास लेने की घोषणा कर दी।
मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी अधिनियम के तहत संस्था के अध्यक्ष को बहुमत के आधार पर चुनने और हटाने का अधिकार रजिस्ट्रार के पास होता है। यदि किसी कारणवश अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना हो तो वह केवल रजिस्ट्रार को ही भेजा जा सकता है।
सोसायटी के नियमों के अनुसार उपाध्यक्ष को अध्यक्ष की अनुमति के बिना अध्यक्ष के कार्य में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। यहां तक कि यदि उपाध्यक्ष, अध्यक्ष की इच्छा के विरुद्ध निर्णय लेता है या उनके स्थान पर हस्ताक्षर करता है तो ऐसी स्थिति में अध्यक्ष को उपाध्यक्ष की सदस्यता समाप्त करने का अधिकार प्राप्त है।
सोमवार को समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के अनुसार उपाध्यक्ष राजेश शुक्ला ने अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर सभी वित्तीय अधिकार अपने पास लेने की घोषणा की। नियमों की दृष्टि से यह कदम गंभीर माना जा रहा है और संस्था के अध्यक्ष के पास उनके विरुद्ध कार्रवाई करने तक का अधिकार है।
अब यह विवाद जातीय रंग भी लेता दिख रहा है। उपाध्यक्ष राजेश शुक्ला ब्राह्मण समुदाय से आते हैं जबकि वर्तमान अध्यक्ष बसंत कुमार अनुसूचित जाति से हैं। आरोप है कि राजेश शुक्ला ने जबरदस्ती अध्यक्ष का कमरा खुलवाकर उसमें बैठने के साथ अध्यक्ष को धमकाने की कोशिश की। जैसे ही यह खबर भेल कारखाने में पहुँची, अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारी लामबंद होना शुरू हो गए।
भेल परिसर में SC-ST समुदाय की संख्या 50% से अधिक है। इस वर्ग ने बसंत कुमार के साथ खड़े होने और उनके साथ हो रहे कथित अत्याचार का विरोध करने का ऐलान किया है। कर्मचारियों ने साफ संकेत दिया है कि वे संस्था अध्यक्ष बसंत कुमार को कमजोर करने की कोशिशों का डटकर मुकाबला करेंगे।