भेल न्यूज 24 के लिए रवि प्रताप सिंह की रिपोर्ट
भोपाल की सोसायटी में नेताजी का नया शगल – दुश्मन का पता पूछते दिखे, कुर्सी बचाने की जद्दोजहद जारी
भोपाल। कहते हैं राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता, बस कुर्सी ही असली दोस्त होती है। भोपाल की एक को- आपरेटिव सोसायटी में यह कहावत आजकल पूरी तरह सच होती दिख रही है।
सूत्रों का दावा है कि नेताजी इन दिनों बेहद परेशान हैं। कुर्सी डगमगाई तो बेचैनी इतनी बढ़ गई कि गोपाल नगर की गलियों में नेताजी को एक ‘पुराने विरोधी’ का पता पूछते देखा गया। लोग देखकर हक्के-बक्के रह गए—“अरे! ये वही नेताजी हैं जो कल तक इन्हें सबसे बड़ा विरोधी बताते थे, और आज घर का पता पूछ रहे हैं?”
मामला यहीं नहीं थमा। खबर तो यह भी है कि नेताजी ने कुछ दिनों पूर्व एक कर्मचारी पर झूठी शिकायत कराकर खूब शेर बनने की कोशिश की थी। अब वही कर्मचारी मानहानि का मुकदमा ठोकने की तैयारी कर रहा है। यानी, नेताजी के लिए ऊपर से कुर्सी और नीचे से कोर्ट—दोनों तरफ से खतरा मंडरा रहा है।
सोसायटी सदस्यों का कहना है कि नेताजी की रातों की नींद उड़ चुकी है। पहले ही यूनियन की हालत खराब, अब यह सोसायटी का घमासान… कुल मिलाकर नेताजी का ‘कुर्सी गणित’ उलझता जा रहा है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि नेताजी इस सह और मात के खेल में अपनी कुर्सी बचा पाएंगे या फिर राजनीतिक बिसात से ही बाहर हो जाएंगे।